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दक्षिणमुखी घर का वास्तु | South Facing House Vastu |

Oct 22, 2020 . by Admin . 231 views

दक्षिण दिशा आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) और नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) के ठीक बीच में स्थित होती है | यह वास्तु कंपास में 157.5° से 202.5° के बीच स्थित होती है |

south facing house vastu

दक्षिणमुखी घर वास्तु विरोधी होते है यह एक बड़ी गलतफहमी है | दरअसल दक्षिणमुखी घर के बारे में लोगो की यह एक आम धारणा बन गई है कि इस दिशा में निर्मित घर वास्तु शास्त्र के अनुकूल नहीं होते है | यह धारणा सर्वथा अनुचित है |

हालाँकि इस आम धारणा के निर्मित होने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण है | दरअसल इस तरह के भूखंड पर जिन लोगो के घर स्थित होते है वे जीवन में अधिक संघर्ष और मुश्किलों का सामना करते है | लेकिन ऐसा इस कारण नहीं होता की यह दिशा अशुभ होती है, बल्कि इसका मूल कारण होता है कि इस दिशा में निर्माण के वक्त गलती करने की गुंजाईश अधिक होती है और उससे बचने के लिए वास्तु शास्त्र के नियमो की सहायता नहीं ली जाती है | परिणामस्वरूप नकारात्मक नतीजे भुगतने पड़ते है |

लेकिन अगर वास्तु शास्त्र के नियमो का पालन करते हुए भवन निर्माण किया जाए तो दक्षिणमुखी घर भी बहुत शुभ और लाभदायक सिद्ध होते है | इस दिशा में बने भवन भी आपको चमत्कारिक रूप से आर्थिक सम्पन्नता, प्रसिद्धि और अन्य कई लाभ प्रदान करते है |

बस आवश्यकता है तो सिर्फ इस बात की कि आपको घर बनाते वक्त अन्य किसी भी दिशा की अपेक्षा दक्षिणमुखी भूखंड में अतिरिक्त सावधानी रखनी होगी |

अगर आप वास्तु की मूलभूत समझ रखते है तो आप भी वास्तु शास्त्र के नियमों को अध्ययन कर वास्तु सम्मत भवन निर्माण कर सकते है, बशर्ते की आठों दिशाओं, सभी 16 ज़ोन्स, 32 पदों और वास्तु के 45 उर्जा क्षेत्रों के अलावा अन्य सभी वास्तु शास्त्र के नियम भी आपको अच्छे से ज्ञात होने चाहिए |

जिस सड़क से आप घर में प्रवेश करते है अगर वो घर के दक्षिण दिशा में स्थित हो तो आपका घर दक्षिणमुखी कहलाता है | [ वास्तु कम्पास से आपके घर की सही दिशा जानने का सरल तरीका यहाँ पढ़े - @FindingHouseFacing ]

 

हम इस लेख में निम्न चीज़ों का अध्ययन करेंगे –

 

1- दक्षिणमुखी घर में मुख्य द्वार का स्थान

2- दक्षिणमुखी घर के लिए शुभ वास्तु

3- दक्षिणमुखी घर के लिए अशुभ वास्तु

 

दक्षिणमुखी घर में मुख्य द्वार का स्थान –

 

जैसा की आपको बताया गया है की दक्षिणमुखी घर में निर्माण के समय चूक होने की आशंका बढ़ जाती है तो उसका एक उदाहरण हमें मुख्य द्वार के चयन में मिलता है | इस दिशा में भी अन्य दिशाओं की तरह 8 पद या भाग होते है | लेकिन इनमे से केवल दो ही भाग ऐसे होते है जिनमे मुख्य द्वार का निर्माण शुभ होता है | तो ऐसे में स्वाभाविक रूप से अधिक सावधानी और कुशलता की जरुरत पड़ती है | क्योंकि इस दिशा में गलत स्थान पर निर्मित मुख्य द्वार अन्य की अपेक्षा नकारातमक फल भी अधिक देता है |

दक्षिण दिशा का तीसरा और विशेष तौर पर चौथा पद बेहद लाभदायक होता है जिन्हें क्रमशः विताथा (S3) और गृहरक्षिता (S4) के नाम से जाना जाता है| जैसा कि आप नीचे दिए गए चित्र में देख सकते है कि दोनों ही शुभ पदों को दक्षिण दिशा में पिंक कलर में दर्शाया गया है और कम्पास में उनकी अवस्थिति को जानने के लिए साथ में डिग्रीज भी लिखी गई है |

vastu for south facing house

गृहरक्षिता में स्थित द्वार धन तो देता ही है साथ ही प्रसिद्धि भी प्रदान करता है | लेकिन 8 पदों में से गृहरक्षिता नामक पद पर मुख्य द्वार बनाना तभी संभव होता है जब घर की चौड़ाई अधिक हो | उदाहरण के लिए अगर आप की घर की चौड़ाई 40 फीट है और इसे आप जब बराबर 8 भागों में विभाजित करते है तो एक भाग की चौड़ाई 5 फीट आती है | लेकिन आप अपना मुख्य द्वार 5 फीट से अधिक चौड़ा रखना चाहते है तो गृहरक्षिता का पद निश्चित ही अन्य पदों के साथ भी सम्मिलित हो जाएगा | परिणामस्वरूप यह उतना लाभदायक नहीं रहेगा |

अगर इससे अधिक चौड़ाई रखनी हो तो फिर मुख्य द्वार का विस्तार पूर्व दिशा की ओर स्थित पद विताथ की ओर करें, ना की पश्चिम की ओर स्थित अन्य पदों की ओर | 

[ आपके घर के मुख्य द्वार का वास्तु जानने के लिए इसे पढ़े - @MainGateVastu ]

 

दक्षिणमुखी घर के लिए शुभ वास्तु –

 

1- मुख्य प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा के चौथे पद (गृहरक्षिता) में हो | इस स्थान पर अवस्थित द्वार गृहस्वामी को प्रसिद्धि के साथ-साथ प्रचुर मात्र में धन की आवक भी देगा | [धन और आर्थिक समृद्धि के वास्तु के लिए यह आर्टिकल पढ़े - @MoneyVastu]

2- दक्षिण और पश्चिम की दीवारें उत्तर व पूर्व की दीवारों से अधिक चौड़ी, ऊँची व भारी रखे |

3- घर में प्रयुक्त जल का बहाव दक्षिण से उत्तर की ओर हो और अगर ऐसा संभव ना हो तो बहाव को पूर्व की ओर भी रखा जा सकता है | इस प्रकार की व्यवस्था मकान में निवास कर रहे पुरुषों को स्वास्थ्य लाभ का साथ यश भी प्रदान करता है |

4- किचन का निर्माण आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) और दुसरे विकल्प के रूप में वायव्य में किया जा सकता है |

5- खाना बनाते वक्त मुंह पूर्व में (आग्नेय में स्थित किचन में) या फिर पश्चिम (वायव्य में स्थित किचन में) रखे |

6- नैऋत्य में मास्टर बेडरूम का निर्माण करे | यह घर के मुखिया को स्थायित्व और प्रबलता प्रदान करेगा | [ बेडरूम वास्तु के लिए यह आर्टिकल पढ़े - @BedroomVastu ]

7- पश्चिम दिशा भी बेडरूम के लिए बेहतर विकल्प है | (विशेषकर बच्चों के लिए)

8- ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में पूजा स्थल का निर्माण किया जा सकता है |

9- अतिथि कक्ष के निर्माण के लिए वायव्य एक अच्छी दिशा है |

 

दक्षिणमुखी घर के लिए अशुभ वास्तु –

 

1- दक्षिण में खाली स्थान का अनुपात उत्तर दिशा से ज्यादा नहीं होना चाहिए |

2- घर का ढलान और पानी का बहाव उत्तर से दक्षिण की ओर होने से वास्तु दोष पैदा होता है | क्योंकि ऐसी स्थिति स्वतः ही दक्षिण को उत्तर की अपेक्षा नीचा कर देती है जो कि वास्तु सम्मत नहीं है |

3- नैऋत्य में किचन का निर्माण भी वास्तु सम्मत नहीं है | घर की स्त्रियों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ता है | [ किचन वास्तु के बारे में अधिक जानने के लिए यह आर्टिकल पढ़े - @KitchenVastu ]

4- दक्षिण दिशा में जमीन के अंदर किसी भी संरचना का निर्माण नहीं करवाना चाहिए | उदाहरण के लिए किसी भी प्रकार का गड्ढा, कुआँ, बोरवेल, अंडरग्राउंड वाटर टैंक,  सेप्टिक टैंक इस दिशा में नहीं होना चाहिए अन्यथा यह बड़ी दुर्घटनाओं और दरिद्रता का कारण बन जाता है |

5- नैऋत्यमुखी द्वार का निर्माण किसी भी हालत में नहीं करवाए | ये बहुत बड़ा वास्तु दोष माना जाता है | नैऋत्यमुखी द्वार आकस्मिक मृत्यु, गंभीर व असाध्य रोग और आर्थिक परेशानियों का  कारण बन जाता है |

6- दक्षिणमुखी घर का द्वार आग्नेयमुखी ना हो | क्योंकि आग्नेयमुखी द्वार इस घर के निवासियों को चोरी के भय के साथ-साथ कानूनी वाद-विवादों में उलझा देता है | साथ ही ऐसा द्वार अग्नि सम्बन्धी विपदाओं का कारण भी बनता है |

7- ब्रह्मस्थान में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं करे, इसे पुर्णतः खुला छोड़े | इस स्थान पर किसी भी प्रकार का निर्माण भयंकर वास्तु दोष को जन्म देता है |

8- दक्षिण दिशा के किसी भाग में Extension या cut का होना घर के निवासियों के लिए बेहद हानिकर होता है |

घर बनाते वक्त अनजाने में ही कई प्रकार के वास्तु दोष निर्मित हो जाते है जिससे घर के निवासियों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है | ऐसी परिस्थिति में वास्तु शास्त्र की सहायता से घर में उपस्थित वास्तु दोषों को दूर कर समस्याओं से निजत पाया जा सकता है |

यदि दक्षिणमुखी घर का निर्माण वास्तु सम्मत तरीके से किया जाए तो यह घर के निवासियों के लिए धन और मान-सम्मान लाता है | 

[ अन्य बेहद महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे - @वास्तुटिप्स ]

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